Monday, July 28, 2025
बेटी ने बाप का कर्जा ऐसे उतारा अपनी बुद्धिमता से
Tuesday, July 1, 2025
कुछ डालोगे ,कुछ दोगे जीवन को जिंदगी को तो ही कुछ मिलेगा
कुछ डालोगे ,कुछ दोगे जीवन को जिंदगी को तो ही कुछ मिलेगा
एक मुसाफ़िर तपते रेगिस्तान में भटक गया था। उसके पास जो थोड़ा-बहुत खाने-पीने का सामान था, वह तेज़ी से ख़त्म हो गया। दो दिन से उसकी प्यास बुझ नहीं रही थी। उसे भीतर से लग रहा था कि अगर अगले कुछ घंटों में पानी नहीं मिला, तो उसकी साँसें थम जाएँगी। पर कहीं न कहीं उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ न कुछ चमत्कार तो ज़रूर होगा और उसे पानी मिल जाएगा। फिर भी, उसके मन में उम्मीद की एक किरण बची हुई थी।
तभी, दूर उसे एक छोटी सी झोंपड़ी दिखाई दी। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। पहले भी वह मरीचिका और धोखे के कारण ठगा जा चुका था। लेकिन अब उसके पास विश्वास करने के सिवा कोई और रास्ता भी तो नहीं था। आख़िरकार, यह उसकी आख़िरी उम्मीद थी। अपनी बची हुई ताक़त समेटकर वह झोंपड़ी की ओर बढ़ने लगा। जैसे-जैसे वह नज़दीक पहुँचता गया, उसकी उम्मीद बढ़ती गई, और इस बार किस्मत भी उस पर मेहरबान थी। सचमुच, वहाँ एक झोंपड़ी खड़ी थी।
लेकिन यह क्या? झोंपड़ी तो बिल्कुल सुनसान पड़ी थी। ऐसा लग रहा था जैसे बरसों से वहाँ कोई इंसान न आया हो। फिर भी, पानी की आस में वह व्यक्ति झोंपड़ी के अंदर दाखिल हुआ। अंदर का नज़ारा देखकर उसे अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं हुआ। वहाँ एक हैंडपंप लगा हुआ था। उस व्यक्ति में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया। पानी की एक-एक बूँद के लिए तरसता हुआ वह तेज़ी से हैंडपंप चलाने लगा। लेकिन हैंडपंप तो कब का सूख चुका था। वह व्यक्ति निराश हो गया। उसे लगा कि अब उसे मौत से कोई नहीं बचा सकता। वह बेदम होकर ज़मीन पर गिर पड़ा।
तभी उसकी नज़र झोंपड़ी की छत से लटकी एक पानी से भरी बोतल पर पड़ी। वह किसी तरह रेंगता हुआ उसकी तरफ़ बढ़ा और उसे खोलकर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल पर चिपका एक कागज़ दिखाई दिया। उस पर लिखा था - "इस पानी का इस्तेमाल हैंडपंप चलाने के लिए करो और बोतल को वापस भरकर रखना मत भूलना।"
यह एक अजीब दुविधा थी। उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पिए या उसे हैंडपंप में डालकर चालू करे। उसके मन में कई सवाल उठने लगे - अगर पानी डालने पर भी पंप नहीं चला तो? अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई तो? क्या पता ज़मीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो? लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े? क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो? वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे।
फिर, कुछ देर सोचने के बाद उसने बोतल खोली और काँपते हाथों से पानी पंप में डालने लगा। पानी डालकर उसने भगवान से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा। एक, दो, तीन... और हैंडपंप से ठंडा-ठंडा पानी निकलने लगा। वह पानी किसी अमृत से कम नहीं था। उस व्यक्ति ने पेट भरकर पानी पिया, उसकी जान में जान आ गई। उसका दिमाग़ फिर से काम करने लगा। उसने बोतल में दोबारा पानी भरा और उसे छत से लटका दिया।
जब वह यह सब कर रहा था, तभी उसे अपने सामने एक और काँच की बोतल दिखाई दी। खोलने पर उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था, जिसमें रेगिस्तान से बाहर निकलने का रास्ता दिखाया गया था। उस व्यक्ति ने रास्ता याद कर लिया और नक्शे वाली बोतल को वापस वहीं रख दिया। इसके बाद उसने अपनी बोतलों में (जो उसके पास पहले से थीं) पानी भरा और वहाँ से चलने लगा।
कुछ दूर जाने के बाद उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा, फिर कुछ सोचकर वह वापस उस झोंपड़ी में गया और पानी से भरी बोतल पर चिपके कागज़ को उतारकर उस पर कुछ लिखने लगा। उसने लिखा - "मेरा विश्वास कीजिए, यह हैंडपंप काम करता है।"
यह कहानी पूरे जीवन के बारे में है। यह हमें सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी हमें अपनी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। और इस कहानी से यह भी सीख मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है। जैसे उस व्यक्ति ने नल चलाने के लिए मौजूद सारा पानी उसमें डाल दिया।
देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद महत्वपूर्ण चीज़ों को दर्शाता है, कुछ ऐसी चीज़ें जिनकी हमारी नज़रों में ख़ास कीमत है। किसी के लिए मेरा यह संदेश ज्ञान हो सकता है, तो किसी के लिए प्रेम, तो किसी और के लिए पैसा। यह जो कुछ भी है, उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ़ से उसे कर्म रूपी हैंडपंप में डालना होता है, और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं ज़्यादा मात्रा में उसे वापस पाते हैं।
🎈🎈प्रेरक कहानी🎈🎈 "कछुआ और खरगोश" कहानी एक नये अन्दाज़ में – वो कहानी जो आपने नहीं सुनी.....
🎈🎈प्रेरक कहानी🎈🎈
amar prem
एक बार की बात है,
एक छोटे से गांव में
मोहन और रुक्मिणी
दो पड़ोसि रहते थे , वे बचपन से ही एक-दूसरे के अच्छे दोस्त रहे थे। जैसे-जैसे वक्त बीता , उनका रिश्ता और भी जड़े पकड़ता गया, और वे अब एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे थे ,जब वे बारहवीं कक्षा में आए, तब मोहन को एहसास होने लगा कि रुक्मिणी के प्रति उसके दिल में दोस्ती से आगे बढ़ कर कुछ है , वह रुक्मिणी से जब बात करता था , उसकी आंखों में खो जाता था। लेकिन वह दोस्ती कहीं खत्म न हो जाए इस डर से अपने प्यार के इजहार से डरता था ।रुक्मिणी भी हमेशा मोहन के साथ वक़्त बिताने के बहाने ढूंढती थी, और जब भी मोहन के पास होती थी बहुत खुश रहती थीं। वह भी अपने प्यार के इजहार से डरती थी कि कहीं मोहन से उसकी दोस्ती खत्म न हों जाए ।
एक दिन मोहन ने आखिरकार सही समय देख कर रुक्मिणी को अपने दिल की बात बता दी । रुक्मिणी तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी।उसकी आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े।रुक्मिणी ने अपने अंदाज से अपनी आंखों से अपने प्यार का इजहार कर अपनी मन की बात जाहिर कर दी, दोनो को ऐसा लग रहा था जैसे की मन से कोई बोझ उतर गया हो ।
दोनों ने अपने परिवारों में ये बात बता दी,दोनों के परिवारों को इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी,जल्द ही दोनों ने विवाह कर लिया, जैसा कि सभी के साथ होता है ,मोहन va रुक्मिणी ke साथ भी होना शुरू हो गया , अब जीवन पहले जैसा भी नहीं रहा था , जिम्मेदारियां लापरवाहियों va बेपरवायियों पर अब हावी हो गई थी, जीवन की नई चुनौतियां मुंह फाड़े सामने खड़ी थी , वैसे भी कहा जाता है शादी प्रेम की समाधी ,दोनो में अब किसी न किसी बात पर तकरार हो जाती थी ,फिर दोनों एक दूसरे से कई कई दिनों तक बात नहीं करते थे , एक दिन तो गलतफहमी इतनी बड़ी की दोनों में खूब बहस हो गई , रुक्मिणी अपना कुछ जरूरी सामान लेकर अपनी मां के पास चली गई, मोहन भी काम से छुट्टी लेकर अपने मां बाप के पास चला गया ,जैसा कि कहा जाता है, सच्चा प्यार किसी भी मुश्किल को हरा सकता है, सबसे बेहतरीन रिश्ते पवित्र वा सच्चे प्यार से बनते है, दोनों अपनी मानसिक स्थिति अपने पेरेंट्स से छिपा नहीं सके ,दोनों के पेरेंट्स ने दोनों को समझाया कि, ये एक साधारण सी बात है किसी रिश्ते में बहस या तकरार होना ,एक दूसरे से शादी शुदा जीवन में तकरार होना नॉर्मल है अगर तकरार नहीं होती तो वह एबनॉर्मल है, फिर किसी शायर ने कहा भी है कुछ दूरियां दरमियान रहने दो , इससे भी नजदीकिया निखरती है, दोनों को अब एक दूसरे की कमी खलने लगी थी ,लेकिन मुश्किल ये थी शुरुआत कौन करे , आखिर मोहन के पेरेंट्स ने मोहन को समझाया कि रुक्मिणी हिचकिचा रही होगी ,तुम्हे फोन करने से ,तुम ही उसे फोन कर लो, मोहन ने रुक्मिणी को सुबह फोन करके बोला में तुम्हे कल लेने आ रहा हूं,रुक्मिणी तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी ,रुक्मिणी पूरे अधिकार व हक से बोली कल नहीं तुम मुझे आज ही लेने आ रहे हो , मोहन उस पल मिली खुशी को छिपा नहीं पा रहा था , मोहन दोपहर को ही रुक्मिणी के घर पहुंच गया , यहां दो नियम अपना काम बेखूबी से कर रहे थे, तकरार खत्म अगर करनी है तो बिना नई बहस के शुरू होने से पहले कर दो , की तेरी ये गलती, तेरी वो गलती ,ये किए बगैर कर दो , अन्यथा तकरार के बीज फिर कभी भी नई बहस बन कर फूट पड़ेंगे, दूसरा हर, बहस हर झगड़ा, हर तकरार अगर तुरंत न खत्म की जाए तो उसे तेजी से बढ़ने वाली बेल की तरह से फिर तुरंत कंट्रोल नहीं किया जा सकता है ।
एक बार की बात है,
एक छोटे से गांव में
मोहन और रुक्मिणी
दो पड़ोसि रहते थे ,
वे बचपन से ही एक-
दूसरे के अच्छे दोस्त रहे
थे। जैसे-जैसे वक्त बीता ,
उनका रिश्ता और भी जड़े
पकड़ता गया, और वे अब
एक-दूसरे के साथ ज्यादा
समय बिताने लगे थे ,जब
वे बारहवीं कक्षा में आए,
तब मोहन को एहसास होने
लगा कि रुक्मिणी के प्रति
उसके दिल में दोस्ती से
आगे बढ़ कर कुछ है , वह
रुक्मिणी से जब बात करता
था , उसकी आंखों में खो
जाता था। लेकिन वह
दोस्ती कहीं खत्म न हो
जाए इस डर से अपने
प्यार के इजहार से डरता
था ।रुक्मिणी भी हमेशा
मोहन के साथ वक़्त
बिताने के बहाने ढूंढती थी,
और जब भी मोहन के
पास होती थी बहुत खुश
रहती थीं। वह भी अपने
प्यार के इजहारसे डरती
थी कि कहीं मोहन से उसकी
दोस्ती खत्म न हों जाए ।
एक दिन मोहन ने आखिरकार
सही समय देख कर रुक्मिणी
को अपने दिल की बात बता दी ।
रुक्मिणी तो जैसे इसी पल का
इंतजार कर रही थी।उसकी आंखों
से खुशी के आंसू निकल पड़े।
रुक्मिणी ने अपने अंदाज से
अपनी आंखों से अपने प्यार का
इजहार कर अपनी मन की बात
जाहिर कर दी, दोनो को ऐसा लग
रहा था जैसे की मन से कोई
बोझ उतर गया हो ।
दोनों ने अपने परिवारों में
ये बात बता दी,दोनों के
परिवारों को इस रिश्ते से
कोई आपत्ति नहीं थी,जल्द
ही दोनों ने विवाह कर लिया,
जैसा कि सभी के साथ होता
है ,मोहन va रुक्मिणी
ke साथ भी होना शुरू
हो गया , अब जीवन
पहले जैसा भी नहीं
रहा था , जिम्मेदारियां
लापरवाहियों va बेपरवायियों
पर अब हावी हो गई थी,
जीवन की नई चुनौतियां
मुंह फाड़े सामने खड़ी
थी , वैसे भी कहा जाता है
शादी प्रेम की समाधी ,
दोनो में अब किसी न
किसी बात पर तकरार
हो जाती थी ,फिर दोनों
एक दूसरे से कई कई
दिनों तक बात नहीं
करते थे , एक दिन तो
गलतफहमी इतनी बड़ी
की दोनोंमें खूब बहस
हो गई , रुक्मिणी
अपना कुछ जरूरी
सामान लेकरअपनी मां
के पास चली गई,
मोहन भी काम से छुट्टी
लेकर अपने मां बाप के
पास चला गया ,जैसा
कि कहा जाता है, सच्चा
प्यार किसी भी मुश्किल को
हरा सकता है,सबसे बेहतरीन
रिश्ते पवित्र वा सच्चे प्यार से
बनते है, दोनों अपनी मानसिक
स्थिति अपने पेरेंट्स से छिपा
नहीं सके ,दोनों के पेरेंट्स ने
दोनों को समझाया कि, ये एक
साधारण सी बात है किसी रिश्ते
में बहस या तकरार होना ,एक
दूसरे से शादी शुदा जीवन में
तकरार होना नॉर्मल है अगर
तकरार नहीं होती तो वह
एबनॉर्मल है, फिर किसी
शायर ने कहा भी है कुछ
दूरियां दरमियान रहने
दो , इससे भी नजदीकिया
निखरती है, दोनों
को अब एक दूसरे की
कमी खलनेलगी थी
,लेकिन मुश्किल ये थी
शुरुआत कौन करे ,आखिर
मोहनके पेरेंट्स ने
मोहन को समझाया
कि रुक्मिणी हिचकिचा
रही होगी तुम्हे फोन
करने से ,तुम ही उसे
फोन कर लो, मोहन ने
रुक्मिणीको सुबह फोन
करके बोला में
तुम्हे कल लेने आ रहा
हूं,रुक्मिणी तो जैसे इसी
पल का इंतजार कर
रही थी ,रुक्मिणी पूरे
अधिकार व हक से बोली
कल नहीं तुम मुझे आज
ही लेने आ रहे हो , मोहन
उस पल मिली खुशी को
छिपा नहीं पा रहा था
मोहन दोपहर को ही
रुक्मिणी के घर पहुंच गया ,
यहां दो नियम अपना काम
बेखूबी से कर रहे थे,
तकरार खत्म अगर करनी
है तो बिना नई बहस के
शुरू होने से पहले कर
दो , की तेरी ये गलती,
तेरी वो गलती ,ये किए
बगैर कर दो , अन्यथा
तकरार के बीज
फिर कभी भी नई बहस
बन कर फूट पड़ेंगे,
दूसरा हर, बहस
हर झगड़ा, हर तकरार
अगर तुरंत न खत्म की
जाए तो उसे तेजी से बढ़ने
वाली बेल की तरह से
फिर तुरंत कंट्रोल नहीं
किया जा सकता है ।
billi nhi paalni
एक महात्मा जी गांव में झोपड़ी में रहते थे ।
रूस में एक झील के किनारे तीन फकीरों का नाम बड़ा प्रसिद्ध हो गया था।
रूस में एक झील के किनारे तीन फकीरों का नाम बड़ा प्रसिद्ध हो गया था। लोग लाखों की तादाद में उन फकीरों का दर्शन करने जाने लगे। यह खबर सबसे बड़े ईसाई पुरोहित को लगी। उसे बड़ी हैरानी हुई। क्योंकि ईसाई चर्च तो कानूनन ढंग से लोगों को संत घोषित करता है, तभी वे संत हो पाते हैं।
एक बार एक साधु अपने
एक बार एक साधु अपने
बेटी ने बाप का कर्जा ऐसे उतारा अपनी बुद्धिमता से
एक छोटे व्यापारी का व्यापार डूब रहा था और उसने साहूकार से भारी रकम उधार ली थी। साहूकार, एक बूढ़ा, बदसूरत और कुटिल व्यक्ति था, जिसकी निगाह व्...
-
Korean Magnificence or K-excellence has had an impact on the manner in which we do our skincare schedule. With imaginative items, novel defi...
-
P U B G video game has been downloaded almost more than 60 crore times worldwide by now . almost 5 crore pe...
-
Korean beauty Korean Excellence or K-magnificence has impacted the manner in which we do our skincare schedule. With ...